मशरूम अब इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में चिप बनाने के भी आएगा काम, रिसर्च से निकाला एनवायरनमेंट फ्रेंडली तरीका
ऑस्ट्रिया के जोहन्नस केप्लेर यूनिवर्सिटी (Austria’s Johannes Kepler University) के रिसर्चर्स की टीम ने ये पाया कि इलेक्ट्रिक डिवाइस में यूज की जाने वाली पॉलीमर चिप रिसाइकिल नहीं की जा सकतीं. और ये पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदेह है.
विज्ञान अपने आप में एक चमत्कार है. यहां हर रोज नए आविष्कार होते हैं. हर नए आविष्कार की शुरुआत होती है एक छोटी सी सोच के साथ. सालों पहले किसने सोचा था कि मीलों दूर बैठे अपने दोस्त को आप जब मन चाहे देख सकेंगे. लेकिन एक सोच से ही ये संभव हुआ. इंसानी दिमाग जो सोचे वो मुमकिन करने की ताकत रखता है. साइंस ने अपने अविष्कारों से कई चीजों को मुमकिन तो बनाया है, लेकिन बढ़ती टेक्नोलॉजी और अविष्कारों में पर्यावरण का ख्याल कहीं पीछे छूट गया. ऐसा नहीं है कि पर्यावरण को महफूज रखने के लिए काम नहीं किया जा रहा, लेकिन अब भी इसमें कई नई चीजें जोड़े जाने की जरूरत है. विज्ञान की तकनीकों का यूज कर अगर एनवायरनमेंट को बचाया जा सके तो ये कितना अच्छा हो. इसी क्रम में ऑस्ट्रिया के जोहन्नस केप्लेर यूनिवर्सिटी (Austria’s Johannes Kepler University) के रिसर्चर्स की टीम ने ये पाया कि इलेक्ट्रिक डिवाइस में यूज की जाने वाली पॉलीमर चिप रिसाइकिल नहीं की जा सकतीं. और ये पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदेह है. इस चिप को मशरुम पर पाई जाने वाली एक सख्त लेयर से रिप्लेस किया जा सकता है.
क्या है आईडिया
इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर यूज किए जाने वाले सब्सट्रेट को हार्ड वुड पर उगने वाले मशरुम गैनोडर्मा ल्यूसिडीयम (Ganoderma lucidum) इस पर पाई जाने वाली स्किन से रिप्लेस किया जा सकता है. दरअसल इस मशरूम पर एक स्किन पाई जाती है जो इसकी जड़ों को बैक्टीरिया और बाकि खतरनाक फंगी से बचाती है. वैज्ञानिकों ने ये पाया कि मशरूम पर पाई जाने वाली ये स्किन अच्छा इंसुलेशन देती है, ये हाई टेम्परेचर का सामना करती है. बायोडिग्रेडेबल होता है और स्किन मोटी, लचीली होती है. जिसे आसानी से मोड़ा भी जा सकता है. रिसर्चर्स ने माना कि इस सब्सट्रेट को अगर चिप में यूज किए जाने वाले सब्सट्रेट से बदल दिया जाए तो ये पर्यावरण के लिए एक बेहतरीन ऑप्शन होगा. आमतौर पर यूज किया जाने वाला सब्सट्रेट सर्किट का बेस होता है और ये सर्किट के बेस के ऊपर रखे मेटल को इंसुलेट और ठंडा रखने का काम करता है.
यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर एक्सपेरिमेंटल फिजिक्स के डोरिस डैनिंगर और रोलैंड प्रुकनर के नेतृत्व में टीम ने पाया कि मशरूम जो आमतौर पर यूरोप और पूर्वी एशिया में कठोर लकड़ी के पेड़ों को सड़ने पर उगता है - माइसेलियम से बनी एक कॉम्पैक्ट सुरक्षात्मक स्किन बनाता है, जो जड़ जैसा नेटवर्क है, ये लकड़ी के जरिए ग्रोथ करता है.
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02:30 PM IST